भारत में ऑफ-रोडिंग दुनिया के बाकी जगहों जितनी मशहूर नहीं है. चूंकि भारत में कुछ ही चुनिंदा लोग 4X4 के शौक़ीन हैं, लोगों की एक बड़ी संख्या के बीच 4X4 गाड़ियों को लेकर कई ग़लतफ़हमियाँ हैं. पेश हैं ऐसी हीं कुछ बड़ी ग़लतफ़हमियाँ जिनकी आपको जानकारी होनी चाहिए.
4X4 मतलब AWD
बहुत सारी गाड़ियों में ऑल-व्हील ड्राइव सिस्टम लगा होता है जो पॉवर को गाड़ी के चारों चक्कों तक भेजता है लेकिन इन्हें 4X4 से कंफ्यूज नहीं करना चाहिए. एक 4X4 गाड़ी में लो-रेश्यो गियरबॉक्स, और दूसरे ऑफ-रोड फ्रेंडली फ़ीचर्स जैसे डिफरेंशियल लॉक भी होते हैं. Renault Duster, Mahindra XUV 500, Audi Q3 ऑल-व्हील ड्राइव गाड़ियां हैं लेकिन उनमें लो-रेश्यो गियरबॉक्स नहीं है. Thar, Scorpio, Safari, Range Rover जैसी गाड़ियों में लो-रेश्यो गियरबॉक्स होता है जो उन्हें काफी ज्यादा सक्षम बनाती हैं. AWD में स्टीयरिंग फीडबैक काफी संतुलित होता है जिसके चलते आप इन्हें अक्सर स्पोर्ट्स कार्स में देखते हैं. वहीँ 4X4 गाड़ियों में पॉवर को सीधे एक्सल तक नहीं भेजा जाता, इनमें एक ट्रान्सफर केस होता है जो ज़रुरत पड़ने पर उसमें मौजूद अतिरिक्त गियर की मदद से टॉर्क को काफी ज़्यादा बढ़ा देता है. ये आम धारणा है की सभी AWD गाड़ियाँ 4X4 होती हैं, लेकिन ये गलत है. दोनों अलग किस्म की गाड़ियाँ होती हैं.
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4X4 गाड़ियाँ कहीं भी पहुँच सकती हैं
4X4 वाली गाड़ियां जिनमे लो-रेश्यो गियरबॉक्स और दूसरे इक्विपमेंट होते हैं ज़रूर आपको दुर्गम जगहों तक लेकर जा सकती हैं लेकिन उनकी भी अपनी सीमाएं होती हैं. कुछ फ़ीचर्स जैसे टायर टाइप, एप्रोच और डिपार्चर एंगल, डिफरेंशियल लॉक, सस्पेंशन ट्रेवल आदि गाड़ी की काबिलियत तय करते हैं. कभी-कभी 4X4 सिस्टम गाड़ी को मुश्किल जगह से निकालने में इसलिए अक्षम होती हैं क्योंकि गाड़ी का ड्राईवर उतना अनुभवी नहीं होता. अगर 4X4 गाड़ी सर्वगुण संपन्न होती तो टैंक्स के लिए कैटरपिलर ट्रैक्स और बर्फ पर चलने वाली गाड़ियों की ज़रुरत नहीं होती.
4X4 हमेशा ऑन नहीं होता है
ये समझना ज़रूरी है की 4X4 सिस्टम को कब इस्तेमाल किया जाए. ऑल-व्हील ड्राइव सिस्टम होने का मतलब ये नहीं की वो हमेशा 4X4 मोड में है. हमेशा आगे को रास्ते को भांप लें और फिर 4X4 का इस्तेमाल करें. बहुत सारी कार्स फुल-टाइम 4X4 सिस्टम के साथ आती हैं लेकिन उनमें बस आंशिक 4X4 सिस्टम होता है जिसे एक्टिवेट करने की ज़रुरत होती है. ज्यादा फ्यूल इस्तेमाल पर काबू पाने के लिए कई निर्माता इस आंशिक 4-व्हील ड्राइव सिस्टम को इस्तेमाल करते हैं ताकि ये तभी चालू हो जब गाड़ी को इसकी ज़रुरत हो. या फिर कुछ ऐसी गाड़ियाँ होती हैं जिनमें आपको 4-व्हील ड्राइव मोड को मैन्युअली एक्टिवेट करना होता है. कई सारे यूजर जो ऑफ-रोड नहीं जाते हैं अपनी गाड़ी को इस मोड में डालना भूल जाते हैं और उन्हें इसका अहसास तभी होता है जब उनकी गाड़ी फँस जाती है.
4X4 खरीदना महंगा होता है
जहां 4X4 टेक्नोलॉजी महंगी होती है, कुछ बेहद किफायती गाड़ियाँ हैं जिनमें 4X4 सिस्टम मिलते हैं. Maruti Gypsy फिलहाल भारत की सबसे 4X4 गाड़ी है. इसकी कीमत कॉम्पैक्ट SUVs से भी कम है. भारत में मौजूद दूसरे किफायती 4X4 गाड़ियों में Mahindra Thar, Force Gurkha, Mahindra Bolero, Mahindra Scorpio और Tata Safari शामिल हैं.
सभी महंगी SUVs में 4X4 होता है
ये एक और बहुत बड़ी ग़लतफहमी है. लोगों को लगता है की गाड़ी की कीमत उसकी क्षमता तय करती है, अक्सर निर्माता सभी महंगी SUVs में 4X4 ट्रान्सफर केस नहीं देते. उदाहरण के लिए Audi Q7 में Quattro फुल टाइम AWD सिस्टम आता है. इसमें एक कंप्यूटर इस बात को निर्धारित करता है की किस चक्के को कितना पॉवर भेजा जाना चाहिए लेकिन इस कार में लो राशन गियरबॉक्स नहीं है. ऐसी कार्स को हम सॉफ्ट-रोडर्स के नाम से जानते हैं. वहीँ दूसरी ओर Land Rover Range Rover Vogue में लो रेश्यो वाला ट्रान्सफर केस है जो इसे लगभग कहीं भी जाने की क्षमता देता है.
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